आयकर विभाग ने दिनांक 01-10-2020 से एक नयी धारा लागू करी है | इस धारा के अनुसार अगर आप किसी ऐसे विक्रेता से खरीदी करते है जिसका का वर्ष 2019-2020 का वार्षिक टर्नओवर 10 करोड़ से ज्यादा था और आपका टर्नओवर इस वर्ष 2020-21 में उस विक्रेता के साथ ५० लाख से ज्यादा रहे तब उस विक्रेता को आपसे (TCS) यानि टैक्स कलेक्शन एट सोर्स भी कलैक्ट करना पड़ेगा|
अगर विक्रेता का टर्नओवर १० करोड़ से ज्यादा रहे और आपका टर्नओवर उस विक्रेता के साथ ५० लाख से ज्यादा रहे तब वह विक्रेता आपसे सौ रूपए प्रति लाख यानि 0.1% के हिसाब से टैक्स लेगा और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को जमा करेगा | कोरोना पीरियड के समय यानि आयकर कानून के हिसाब से 31 मार्च 2021 तक विक्रेता केवल 0.075% की दर यानि पचहत्तर रूपए प्रति लाख पर टैक्स लेगा और कोरोना पीरियड यानि 31 मार्च 2021 के बाद यह टैक्स पूरे सौ रूपए प्रति लाख के हिसाब से जमा होगा जो आपका विक्रेता आपके नाम से ज़मा करेगा |
इस नयी धारा से आपके व्यापार को क्या लाभ और हानि हो सकती है :-
१. यदि आपका टर्नओवर एक ही कंपनी से है, जैसे फ्रेंचाइजी या एजेंसी तब समझिये की पचास लाख से ज्यादा के टर्नओवर पर वो कंपनी आपसे टैक्स कलेक्ट करेगी | यदि आपका टर्नओवर २ करोड़ का है तब 1.5 करोड़ पर पचहत्तर रूपए प्रति लाख के हिसाब से आपका Rs. 11,250/- टैक्स सरकार को जमा हो जायेगा |
२. अगर आप टैक्स दायरे में आते है तब आप इसे आयकर टैक्स पटाने में इस्तमाल कर सकते है। जैसे ब्याज या अन्य टीडीएस के सामान ही उपयोग हो जायेगा | यदि साल के अंत में आपका टैक्स नहीं बनता तब आप आयकर विभाग से इसका रिफंड प्राप्त कर सकते है |
३. इससे यह फायदा होगा की अब आपको एडवांस टैक्स कम पटाना पड़ेगा और एडवांस टैक्स पर लगने वाले ब्याज में भी बचत होगी |
४. जिन व्यापारिओं का टर्नओवर बहुत ज्यादा है उनका थोड़ा कैपिटल ब्लॉक हो जायेगा |
५. यदि आप जिस विक्रेता से माल खरीदते है और वो टैक्स नहीं पटाता है तो आप इसका क्रेडिट नहीं ले पाएंगे या क्रेडिट लेने मे मुश्किल आएगी | ऐसे मे आपको आपके विक्रेता से टैक्स डिपाजिट सर्टिफिकेट (फॉर्म 16A ) समय समय पर लेते रहना चाहिए |
६. यह आपके माल खरीद पर लागत नहीं रहेगी और इनके टैक्स रीटर्न फाइल करते समय आप वापस रिफंड ले सकते है |
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